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Thursday 15 August 2013

आज देश को मोदी जैसी इच्छाशक्ति वाला नेता चाहिए नाकि रिमोट कंट्रोल से चलने वाला नेता


देश की जनता में सबसे अधिक असरदार नेता 
जनता में बे -असरदार नेता 
 प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के स्वाधीनता दिवस के अवसर पर लालकिले से पढ़े गए भाषण का विश्लेष्ण करके मोदी के संबोधन से कांग्रेस के साथ-साथ कई अन्य नेता तो तिलमिला ही रहे हैं, इसके साथ मीडिया की भांड मण्डली भी महाबहस चला रही है। जितनी तीखी प्रतिक्रिया मोदी की कही बातों की होती है उतनी तेजी से उनकी लोकप्रियता का ग्राफ जनता में बढ़ रहा है। जो भाषण पीएम ने दिया वो किसी थके -हारे और हताश -निराश व्यक्ति का हो सकता है नाकि भारत जैसे परमाणु शक्ति से सम्पन्न राष्ट्र प्रमुख का। दूसरी ओर मोदी का भाषण ऐसा है जो इच्छाशक्ति से भरपूर किसी राष्ट्र नायक का हो। इसकी तुलना देश की जनता कर रही है और उनके विरोधी इससे घबराई सी दिखने लगी है। मोदी की यही कला है कि वह कुछ कहते हैं तो उसपर बढ़ी तीखी प्रतिक्रिया उनके विरोधी तो करते ही हैं साथ ही पूरा मीडिया भी उसपर अपनी महाबहस शुरू करके उसको इतना चर्चित कर देता है की कई दिन तक पर उस पर नेताओं में नोक-झोंक चलती रहती है। वास्तव में मोदी की लोकप्रियता को बढ़ाने में सबसे ज्यादा हाथ उनके विरोधियों का ही है। 

  आज जिन हालत से देश गुजर रहा है उनमें जनता एक ऐसे नेता की तलाश में थी जो किसी रिमोट कंट्रोल की बजाय अपनी सूझ-बुझ से चलना जानता हो और वह बिना रीढ़ का न हो। जनता को अपनी इसी इच्छा की पूर्ति मोदी के व्यक्तित्व में देखने को मिल रही है और यही बात उनके विरोधिओं की नींद हराम किये हुए है।