क्या देश और समाज की तरक्की की रफ़्तार को नहीं रोक रहा आबादी का बढ़ता बोझ ? क्यों परिवार नियोजन अपनाने वालों को नहीं मिलता सरकारी योजनाओ का लाभ ?
देश में मुसलमानों को वोटों की खातिर राजनैतिक दल उनको कभी आरक्षण का झुनझुना दिखाते हैं और कभी उनके पिछड़ेपन के लिए उनके साथ किया जानेवाला प्रशासनिक भेदभाव बताया जाता है।यह सारी कसरत और नौटंकी सिर्फ मुसलमानों का सबसे बड़ा हितैषी बनकर उनके वोट पाने की जुगत के तहत कथित सेकुलर नेता और राजनैतिक दलों द्वारा की जाती है।मुस्लमान भी इसमें खुश हैं क्योंकि इस आड़ में वह अपने जेहादी एजेंडे के तहत अपनी आबादी बढ़ाने की मुहीम में दिन -रात जुटे हुए हैं।मुसलमानों के पिछड़ेपन की असली वजह उनका परिवार नियोजन को न अपनाना है और आबादी के बढ़ने की वजह से भारत का विकास भी बाधित होता जा रहा है। आज मुसलमानों के छोड़कर सभी अन्य धर्मों को मानने वाले लोगों में 2 या 3 बच्चों को ही पैदा करने की परम्परा चल रही है। इसके पीछे इन लोगों की सोच है कि महंगाई और बेरोजगारी के इस दौर में कम संतान होने से वह अपने परिवार का भरण -पोषण ठीक तरह से कर पाएंगे और अपने बच्चों को भी अच्छी शिक्षा देकर उनका भविष्य उज्जवल कर पाएंगे। इसके उलट मुसलमान अधिक संतान को पैदा करके अपनी और देश की तरक्की को रोकने के मिशन में लगे हुए हैं।इनके धार्मिक नेता भी इनको यही समझाने में कामयाब हो चुके हैं कि संतान अल्ला की देन है और इनको पैदा होने से रोकना अल्ला के आदेश की तोहीन है। इसके साथ ही आबादी बढ़ाने के पीछे यह मानसिकता भी काम कर रही है कि अगर उनकी संख्या अधिक होगी तो भारत पर उनका ही इस्लामिक राज कायम हो जायेगा।इसी कारण मेवात के इलाके में आज भी कई मुसलमानों के 15 से 20 बच्चे भी पाए जा रहे हैं। अधिक संतान होने की वजह से न तो उनका भरण -पोषण ठीक तरह से होता है और न ही उनको शिक्षा भी मिल पाती है। यही अशिक्षा अधिकांश लोगों को अपराध और अन्य असमाजिक कार्यों की ओर धकेल रही है। परिवार -नियोजन को न अपनाकर मुसलमान अपने पिछड़ेपन को तो आमंत्रित कर ही रहे हैं साथ ही समाज और देश की तरक्की की रफ़्तार को भी रोकने में लगे हुए हैं। कुछ माह पहले ही राजस्थान के अलवर जिले के एक गाँव में एक मुसलमान मेरे पास अपनी ओल्ड ऐज पेंशन की समस्या को लेकर आया। इसकी हालत बिलकुल दरिद्र थी और उसकी आयु 70 वर्ष थी।उसने तीन विवाह किये और अब उसके 9 लड़के और 3 लड़कियां हैं। मजेदार बात यह है कि सबसे छोटा लड़का सिर्फ ढाई माह का है।जब मैंने उससे सवाल किया कि इतनी गरीबी में इतने बच्चे क्यों ?तो उसका जवाब था कि साहब यह अल्ला की देन है।मेरे यह कहने पर कि अब उसकी अगली संतान कब होगी ?तो वह बोला कि यह तो अल्ला ही बता सकता है। यह सोच ही है मुसलमानों के पिछड़ेपन का कारण जो न तो किसी सरकारी योजना के लाभ और न ही उनको आरक्षण देने से समाप्त हो सकता है। ऐसी सोचवालों को अधिक संतान को पैदा करके कई लाभ स्वत ही मिल जाते हैं जैसे -
पहले आबादी बढ़ाना और फिर पिछड़ेपन का रोना |