अभी हाल में संपन्न हुए दिल्ली ,राजस्थान ,मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की विधानसभा चुनावों में जनता ने कांग्रेस का सफाया कर दिया है। जनता द्वारा नकार दी गयी कांग्रेस की आनेवाले लोकसभा चुनाव में और भी बुरी गति होनेवाली है और अपने भविष्य को शायद कांग्रेस के नेता समझ भी रहे हैं और इसके लिए सीधे -२ सोनिया -राहुल गांधी को ही प्रमुख रूप से जिम्मेदार मानते हुए भी इसे कहने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे। यही कांग्रेस में कमी है कि वहाँ सच बोलने की आज़ादी किसी को नहीं है ,बस गांधी -नेहरू परिवार की स्तुति ही करनेवाले सच्चे और निष्ठावान कांग्रेसी होने का प्रमाण है।
आनेवाले दिनों में कुछ परिवर्तन कांग्रेस और सरकार में देखने को मिल सकते हैं। राहुल गांधी को जनता ने बुरी तरह से खदेड़ दिया है और उनकी किसी भी बात को मानना तो दूर सुनना भी आवश्यक नहीं समझा।यह उनकी चुनाव रैलियों के दौरान भी देखने को मिला परन्तु कांग्रेस इसे जानते हुए भी अनजान बने रहना चाहती है। महंगाई ,भ्रष्टाचार ,घोटालों की मार से जनता का दम निकल चुकी कांग्रेस सरकार को 4 राज्यो के चुनाव में जनता ने रसातल में पहुंचा दिया है। जनता के रोष को देखते हुए केंद्र सरकार को समर्थन देने वाले सहयोगी दलों को भी अपने भविष्य का मंजर दिखायी देने लगा है ,इसीलिए एनसीपी के शरद पवार ,सपा और बसपा भी कांग्रेस के नेतृत्व को कोसने पर उतर आयी है। कांग्रेस के अंदर भी नेतृत्व के विरुद्ध बगावत के स्वर सुनायी पड़ सकते हैं। हो सकता है कांग्रेस अपनी करतूतों और गांधी परिवार की असफलता का ठीकरा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के सिर फोड़ने का काम करे लेकिन यह तो साबित होता जा रहा है कि राहुल गांधी के दम पर कांग्रेस की नैया को डूबने से अब कोई नहीं बचा सकता। जनता अब नरेंदर मोदी को देश की कमान सौपने की ठान लगती है और इसकी आहट इन विधानसभा के चुनावों में जनता ने दे दी है ,लेकिन देश का मीडिया ,कांग्रेसी और तथाकथित धरमनिर्पेक्षता के झंडाबरदार इस आहट को सुनने के बावजूद खुद को और जनता को गुमराह करने की बेकार की कवायद में जुटे हुए हैं।देश से कांग्रेस और उसके साथी दलों की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है और मोदी के कदम तेजी से दिल्ली की सत्ता की ओर बढ़ते जा रहे हैं।