देश को भोगने की आदि हो चुकी कांग्रेस पार्टी के लोग सत्ता हाथ से निकलती देख बौखला रहे हैं। आश्चर्य की बात है गांधी परिवार के गुलाम कांग्रेसी अब राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने की मांग कर रहे हैं , लेकिन यह परिवार अपने कंधो पर जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है क्यों ? राहुल -सोनिया सत्ता का रिमोट तो अपने हाथों में रखना चाहते हैं , लेकिन जिम्मेदारी से बचना चाहते हैं। क्या इस परिवार को अपनी हार से डर लगता है या वह सिर्फ सत्ता की मलायी तो खाना चाहते हैं, लेकिन पराजय का ठीकरा अपने सर लेने से बचते हैं।
अभी पिछले दो दशक से देश की बागडौर प्रधानमंत्री के रूप में तो मनमोहन सिंह के पास है, परन्तु उनका रिमोट कंट्रोल सोनिया -राहुल गांधी के हाथ में। किसी चुनाव को जीत लिया जाये तो उसका श्रेय सोनिया -राहुल गांधी को और पराजय की जिम्मेदारी पार्टी के दूसरे नेतायों पर। सीधे -२ इसका अर्थ यह है कि प्रधानमंत्री मनमोहन के पास जिम्मेदारी तो है, लेकिन शक्ति गांधी परिवार अपने हाथों में रखे हुए है ,वह जब चाहे आगे आकर मनमोहन के निर्णय को वीटो कर सकने कि क्षमता रखते हैं। दूसरी और गांधी परिवार के पास शक्ति तो है, लेकिन कोई जिम्मेदारी नहीं है। गांधी परिवार की यही मानसिकता है। इस परिवार की यही मानसिक दशा देखने को मिल रही है। क्या आप इस बात से सहमत हैं ?कृपया अपनी राय दें -