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Saturday 19 July 2014

हिन्दू रोजा इफ्तार की दावतें दें और बदले में ईमानवाले हिन्दुओं की सबसे पवित्र अमरनाथ यात्रा पर हमले करें तो यह कौनसी उदारता है ?

कश्मीर में अमरनाथ यात्रा के यात्रिओं के लिए बालटाल पर लगाये गए लंगर शिविरों पर ईमानवालों ने हमला करके एक बार फिर साबित कर दिया है कि वह किसी दूसरे धर्म के लोगों को कतई सहन नहीं कर सकते, क्योंकि उनका मजहब उन्हें ऐसी ही शिक्षा देता है। लंगर लगाने वाले सभी लोग हिन्दू हैं और देश के कोने -२ से अमरनाथ यात्रा पर जाने वाले तीर्थयात्रीओं के रहने और खाने का प्रबंध करते हैं। एक तो हिन्दुओं को अपने तीर्थ पर जाने के लिए जम्मू -कश्मीर की सरकार कोई सुविधा नहीं देती दूसरे  जब लोग अपना प्रबंध खुद करते हैं तो उनकी सुरक्षा में  कौताही बरत कर उनकी यात्रा को बाधित करने की छूट अलगाववादी मुस्लिम संगठनों को देती है। इसका सीधा - २ यही सन्देश है कि किसी भी तरह से हिन्दुओं की अमरनाथ यात्रा को न होने दिया जाये। 18 जुलाई को जो उत्पात ,हिंसा और आगजनी हिन्दुओं के लंगर शिविरों में की गई ,उससे यह बात तो पूरी तरह से साबित हो रही है कि मुस्लिम कटटरपंथी अब कानून को कुछ भी नहीं समझते हैं। अफ़सोस की बात है की भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में जहां हिन्दू बहुसंख्यक होने के बावजूद अलपसंख्यक मुसलमानों की दादागिरी का शिकार है और अधिकांश राजनैतिक दल भी इस आतंक को बढ़ावा देने में लगे हुए हैं। गाज़ा में इजराइल के साथ फलस्तीन के युद्ध में मारे जानेवाले लोगों की कांग्रेस और अन्य कई राजनैतिक दलों के लोगों  द्वारा  को अधिक चिंता है परन्तु अपने ही देश में हिन्दुओं की तीर्थयात्रिओं पर होनेवाले हमलों से उनका दूर - २ तक वास्ता नहीं है ,क्यों ?

         कांग्रेस की तरह केंद्र में नरेंदर मोदी की सरकार भी हिन्दुओं को अगर सुरक्षा देने में नाकारा साबित हुयी तो देश के आंतरिक हालत काफी विस्फोटक स्थिति में पहुंच सकते हैं।  उत्तरप्रदेश के मुरादाबाद में रमजान के दौरान मंदिरों से लाउडस्पीकरों को उतरवाने के लिए तो मुस्लमान मरने -मारने पर आमादा हो जाते है और बिकाऊ मीडिया भी इस दादागिरी को मामूली बात बताकर हिन्दुओं के सर ही सारा दोष मढ़ देता है ,उसी समुदाय के लोग हिन्दुओं की सबसे पवित्र अमरनाथ यात्रा को रोकने के लिए जब हिंसा और आगजनी करते हैं तो  यही मीडिया चुप्पी साध लेता है क्यों ?यह  धर्मनिरपेक्षता का कौनसा रूप है ,इसका जवाब कौन देगा ? क्या मीडिया के लोगों को अमरनाथ यात्रा के दौरान की जानेवाली दादागिरी भी उसी तरह जायज लग रही है जैसे मंदिरों से जबरन लाउडस्पीकरों को उतारा  जाना ?क्या भारत में हिन्दू अपने धार्मिक आयोजनों को नहीं कर सकता ?जिस देश की सरकार मुसलमानों को हज यात्रा के लिए आर्थिक मदद करती हो और हिन्दूओं से तीर्थयात्राओं के लिए टैक्स वसूलती हो यह कैसी धर्मनिरपेक्षता है ?हिन्दू रमजान के महीने में राजदारों को रोजा इफ्तार की दावतें दें और बदले में ईमानवाले हिन्दुओं की सबसे पवित्र अमरनाथ यात्रा पर हमले करें तो यह कौनसी उदारता है ? क्या इसका जवाब हिन्दुओं के मठाधीशों के पास है ?क्या देश में शांति और सदभाव को बनाने की सारी जिम्मेदारी सिर्फ हिन्दुओं की ही है और उसको बिगाड़ने का काम ईमान वालों का है ?इस बात का जवाब कथित धर्मनिरपेक्षता के झंडाबरदारों ,राजनैतिक पार्टिओं ,भाईचारे और प्रेम का सन्देश देनेवाले दीनदारों और भारत की सरकार से हिन्दुओं को चाहिय। मोदी सरकार भी अगर स्थानीय सरकार से सिर्फ रिपोर्ट ही मांगती रहेगी और सुरक्षा का भरोसा ही देती रहेगी और कोई ठोस कदम नहीं उठायेगी तो यह सरकार की सेहत के लिए अच्छा नहीं होगा और हताश  हिन्दू यूँही आतंकित होकर गुहार लगाता  रहेगा तो इसका परिणाम अच्छा नहीं निकलेगा। blogpost,tusharapat .com