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Saturday 9 August 2014

रक्षाबंधन की सार्थकता तभी है जब हम अपनी बहन -बेटियों की आबरू और सम्मान की रक्षा करने के वचन को पूरा कर पाएं।

रक्षा बंधन हर वर्ष आता है और हम अपनी बहनों से रक्षा सूत्र अपने हाथ में बंधवाकर उसकी रक्षा करने का वचन उसको देते हैं। हमारे इस वचन से हमारी बहन को भी यह विश्वास हो जाता है कि समाज में कोई ऐसा है जो उसको मुसीबत के समय में उसकी पुकार को सुनकर अवश्य उसकी मदद को दौड़ा - २ आ जायेगा। इसी विश्वास को कायम रखने का संकट आज उठ खड़ा हुआ है। आज हमारी बहन -बेटियों की आबरू खतरे में है और हम सिर्फ रक्षाबंधन की औपचारिकता को पूरा करने में लगे हुए हैं। क्या हमें इस पवित्र त्यौहार की मूल भावना को समझते हुए अपनी बहन -बेटियों को दिए वचन को पूरा करने के लिए नहीं सोचना चाहिय ? अगर  ऐसा कर पते हैं तो इस त्यौहार और हाथ में बहन से बँधवानेवाले रक्षा - सूत्र की महत्ता है अन्यथा यह एक औपचारिकता मात्र है।