कथित खालिस्तान आंदोलन के दौरान [१९७९-१९८४ ]में पंजाब और पंजाब से बाहर आतंकवादियों द्वारा असंख्य बेकसूर हिन्दुओं को मौत के घाट उतार दिए गए लोगों के परिवारों को मुवावजा और इंसाफ अभी तक नहीं मिला है। क्या देश की नरेंदर मोदी सरकार इन अभागे परिवारों के दर्द को समझेगी और इनके गहरे जख्मों पर मुआवज़े का मरहम लगाएगी ? क्या देश में आतंकवाद या दंगों के शिकार पीड़ितों को मजहब के आधार पर सरकार द्वारा राहत और इंसाफ देना किसी भी तरह से न्यायसंगत है ? क्या प्रधानमंत्री मोदी को इस ओर ध्यान नहीं देना चाहिये ?आप अपनी राय दें -https://www.facebook.com/ashwani.bhatia.737