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Monday 5 January 2015

राजस्थान में वसुंधरा सरकार के प्रशासनिक अधिकारी निकाल रहे हैं पी एम मोदी के सुशासन के दावों की हवा। फाष्ट ट्रैक कोर्ट हुई डैड ट्रैक कोर्ट में तब्दील

राजस्थान सरकार का ऑनलाइन शिकायत पोर्टल संपर्क  भी हो रहा है  नाकारा साबित। जनता को मिलेगा कैसे न्याय ?कौन सुनेगा पीड़ित जनता की पुकार ?

अलवर [अश्विनी भाटिया ]। अलवर  राजस्थान में बीजेपी की वसुंधरा सरकार के राज्य  की  जनता को सुलभ,त्वरित  और स्वच्छ शासन देने के सभी दावों को ताक पर रखकर प्रशासन में बैठे अधिकारी अपनी मनमानी कर रहे हैं  ऐसा लगता है कि कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार के बिगड़ैल अधिकारीयों को , जिनके कारण उस सरकार का पतन हो गया था, सरकार बदलने के बावजूद  अभी तक  अपनी पूर्व की भ्रष्ट और मनमानी करनेवाली कार्यशैली को बदलने की कोई जरुरत महसूस नहीं हुई है।राज्य के प्रशासनिक अधिकारियों की अकर्मण्यता ही वसुंधरा सरकार का ग्राफ जनता की नज़रों में गिराने में कारगर साबित हो रही है।अलवर जिले की अधिकांश तहसीलों और उपखण्डों में बड़े पैमाने पर रेवेन्यू मामले जिनमें राजस्थान भूमि  काश्तकारी अधिनियम के वर्षों से लंबित पड़े मामलों का निस्तारण करने के उद्देश्य से fasht track court  का गठन किया गया था जिनमें अधिकांश  न्यायालयों में न तो पीठासीन अधिकारी हैं और ना ही दूसरा स्टाफ ही लगाया गया है। इस तरह से यह फाष्ट ट्रैक कोर्ट एक तरह से डैड ट्रैक कोर्ट में तब्दील हो चुकी हैं।इसी तरह से रामगढ उपखण्ड में फाष्ट ट्रैक कोर्ट का गठन गत फ़रवरी, 2013 में किया गया था जो मात्र 3 माह काम करने के बाद अपना दम तोड़ गयी, अर्थात मई 2013 से यह कोर्ट मृत प्राय पड़ी है। ना तो इस कोर्ट में कोई पीठासीन अधिकारी है ना ही कोई अन्य स्टाफ ही मौजूद है।

   रामगढ तहसील में आज भी कर्मचारियों और अधिकारीयों की कार्यशैली को लेकर जनता क्षुब्द है और गरीब व् अनपढ़ जनता की पुकार कोई सुनने को तैयार नहीं है। कई ग्रामीणों की शिकायत मिलने के  बाद इस सवांददाता ने इस सम्बद्ध में कई बार रामगढ उपखण्ड अधिकारी श्री अखिलेश कुमार पीपल से मिलने का प्रयास किया , लेकिन उनके कार्यालय से बताया गया कि  साहब नहीं हैं फिल्ड में गए हुए हैं। इसी उपखण्ड में रेवन्यू के मामलों में सभी नियमों -कानूनों को ताक पर रखकर गरीब और असहाय लोगों को दर्द के अलावा यहां से  कोई न्याय नहीं मिल रहा। केसों में लोगों को सिर्फ तारीखें ही दी जाती हैं और लोग हर तारीख पर अपना सा मुंह लेकर सरकार को कोसते हुए अपने घरों को लौट जाते हैं। इस संबंध में सुचना के अधिकार अधिनियम,2005  के तहत एक प्रतिवेदन  गत 28 नवम्बर,2014  को उपखण्ड ऑफिस में स्पीड -पोस्ट द्वारा भेजा गया था जोकि  1 दिसम्बर को  पत्र कार्यालय में डिलीवर होने के बावजूद यह रिपोर्ट लिखे जाने तक कोई सुचना आवेदक को नहीं दी गई है।  

इसी तरह से इस उपखण्ड में चल रही पेंशन धांधली का मामला प्रकाश में आया है जिसमें कई  लोग वृद्धा पेंशन को गलत तरीके से प्राप्त कर रहे हैं। इस पेंशन घोटाले की शिकायत राजस्थान सरकार द्वारा जनशिकायत पोर्टल राजस्थान 'संपर्क' पर गत 14 नवम्बर, 2014 को की गई थी, जिसपर आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। आश्चर्यजनक बात यह है कि शिकायत की वस्तुस्थिति देखने पर ज्ञात होता है कि  शिकायत पर कार्रवाई को विचाराधीन दिखाया जा रहा है और यह एसडीएम रामगढ के कार्यालय में पिछले 18 नवम्बर से पड़ी हुई है। राजस्थान में राज्य की बागडोर बीजेपी की वसुंधरा राजे के हाथों में आये 1 वर्ष बीत जाने के बाद भी जनता को कोई  राहत मिलती दिखाई नहीं दे रही , जो कि प्रधानमंत्री नरेंदर मोदी के जनता को सुशासन देने  की कवायद को ठेंगा दिखाने  जैसा प्रतीत हो रहा है ।

'संपर्क' पर दर्ज करवाई गई पेंशन घोटाले की शिकायत में बताया गया था कि  इस तहसील के नौगाँव कसबे और गढ़ी सहित कई अन्य गॉवों  में कुछ ऐसे लोग भी पेंशन ले रहे हैं जो सरकारी नौकरी में थे और अब सेवानिवृत हो चुके हैं। मजेदार बात यही है कि यह पेंशनधारी सेवानिवृति की  पेंशन व अन्य सरकारी लाभ भी प्राप्त कर रहे हैं।जानकारी में आया है कि इन रिटायर हो चुके लोगों में शिक्षक भी हैं और इनकी पत्नियां गरीबों की पंक्ति में शामिल होकर पेंशन प्राप्त करके अन्य गरीबों का हक़ मारने में लगे हुई  हैं। इसी तरह से वो लोग जिनके पास कृषि भूमि भी है , लेकिन खुद को भूमिहीन दर्शाकर पेंशन प्राप्त कर रहे हैं इनकीजाँच की जाए तो रेवन्यू रिकार्ड ममें ही इनके झूठ की पोल खुल सकती है। झूठे और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पेंशन प्राप्त करने में सफल हो चुके इन लोगों में कई लोग ऐसे भी हैं जिनकी आयु अभी 60 वर्ष से बहुत कम है, लेकिन वोटर पहचान पत्रों में कूट रचना करके अपनी आयु 60 वर्ष और इससे अधिक दिखा कर वृद्धा पेंशन ले रहे है। सूत्रों से ज्ञात यह भी हुआ है कि इस तरह से फर्जीवाड़ा करके पेंशन लेने वालों में गढ़ी-धनेटा ग्राम पंचायत की एक पूर्व महिला सरपंच भी शामिल है जिसका पति हरियाणा में शिक्षक था और अब सेवानिवृति के बाद सरकारी पेंशनभोगी है।

          शिकायत में   रामगढ़ तहसील के अंतर्गत आने वाले समस्त पेंशनभोगी जो फ़र्ज़ी दस्तावेज़ों और गलत तथ्यों के द्वारा गरीबों के हक़ पर डाका डालकर सरकारी पेंशन को डकारने में लगे हुए हैं,ऐसे लोगों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की मांग  गई है ,परन्तु अफसोसजनक पहलु यह कि वसुंधरा सरकार के अधिकारी सुशासन देने के दावों को हवाहवाई बनाकर जनता को स्वच्छ वातावरण उपलब्ध करवाने को तैयार नहीं हैं । साथ ही पेंशन वितरण  के काम में लगे संबंधित डाकिए भी अनपढ़ और गरीब पेंशनधारियों की आनेवाली पेंशन को डकारने में लगे हुए हैं। इन डाकियों  के विरुद्ध भी उच्च स्तरीय जाँच होनी चाहिए और इनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई भी अवश्यम्भावी हो चुकी है।