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Monday 12 January 2015

अलवर जिला प्रशासन के अधीन उपखण्ड और तहसील रामगढ कार्यालय अछूते हैं स्वच्छ भारत अभियान से।अधिकारियों को नहीं है प्रधानमंत्री मोदी के अभियान से कोई लेना -देना

अलवर [अश्विनी भाटिया  ] राजस्थान में  प्रशासन के अधिकारियों पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान का कोई असर दिखाई नही दे रहा है। मज़ेदार बात यह है कि राजस्थान का अलवर जिला एनसीआर में शामिल है और दिल्ली के बहुत ही नज़दीक है, जब इस जिले में स्वच्छ भारत अभियान टांय - 2 फिस हो रहा है तो दूर -दराज़ के जिलों का क्या हाल होगा ,सहज ही अंदाज़ लगाया जा सकता है ?मजेदार बात यह है कि जिला प्रशासन अपने तहसील और उपखण्ड कार्यालयों की सफाई करवाने में नाकाम सिद्ध हो रहा है। इस  सवांददाता को जिले की रामगढ तहसील और उपखण्ड अधिकारी के  कार्यालय में गंदगी का जो वातावरण मिला उससे यह सहज अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि यहां के प्रशासनिक अधिकारी जब अपने कार्यालयों को ही साफ नहीं करवा सकते तो वह अपने अधीन आनेवाले क्षेत्रों को कैसे स्वच्छ रख सकते हैं ? इस सवांददाता ने जब उपखण्ड अधिकारी रामगढ़ [एस डी एम ]श्री अखिलेश कुमार पीपल से इस संबंध में बात की तो उनका जवाब सुनकर बहुत ही आश्चर्य हुआ और यह समझ में आ गया कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के अधिकारी  किस कारण से और क्यों अपनी निकम्मी और गैरजिम्मेदार कार्यशैली को  अपना अधिकार बनाए हुए हैं क्योंकि  उन्हें राज्य सरकार से किसी भी तरह का कोई भय नहीं है। कार्यालय में फैली गंदगी के बारे में उपखण्ड अधिकारी श्री पीपल का जवाब था कि''यह काम मेरा नहीं है ,मैं यहाँ सफाई करने के लिए नहीं आता ।'जब सवांददाता ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी स्वयं झाड़ू लेकर भारत को स्वच्छ बनाने का अभियान चलाये हुए तो उन जैसे जिम्मेदार अधिकारी इस अभियान को गंभीरता से क्यों नहीं ले रहे तो उन्होंने कहा कि 'तो यह बात मोदी से जाकर पूछ लो कि यहाँ की सफाई क्यों नहीं हो रही। ''

          रामगढ तहसील का मूत्रालय की भी पिछले लम्बे समय से  नारकीय दशा बनी हुई है जो स्वच्छ भारत अभियान के बाद भी जस की तस है। इसको देखकर यह प्रतीत होता है कि यहाँ की सफाई शायद दशकों से नहीं हुई और इसमें मूत्रदान करना तो दूर इसमें प्रवेश करना भी दूभर है।इस तहसील में प्रतिदिन हजारों ग्रामीण महिला -पुरुष अपने कार्यों के लिए आते हैं और उनको आवश्यक सुविधा के नाम पर कोई प्रबंध तहसील प्रशासन की ओर से नहीं किया गया है। ऐसा लगता है कि तहसीलदार महोदया जो स्वयं महिला हैं उन्हें इस बात का अहसास भी नहीं है कि कार्यालय में आनेवाली महिलाएं लघु शंका निवारण के लिए कहां जाएँगी ? महिला तो महिला पुरुषों के लिए बने मूत्रालय भी   नारकीय बना हुआ है जिसको इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।इस सवांददाता ने तहसीलदार महोदया से मिलने का प्रयास किया लेकिन तब वह अपने कार्यालय में उपस्थित नहीं थी।
      रामगढ़ उपखण्ड और तहसील कार्यालयों की नारकीय हालत मोदीजी के स्वच्छ भारत अभियान को चिढ़ाती -सी  लग रही  हैं। इस बात का अंदाज़ा सहज ही लग जाता है कि राजस्थान में बीजेपी की वसुंधरा राजे सरकार में प्रशासनिक अधिकारी सुधरने को तैयार नहीं हैं और वो  बेलगाम घोड़ों की तरह जनता की भावनाओं को रौंदने में तनिक भी नहीं झिझक रहे।और तो और इनका दुःसाहस इतना बढ़ चूका है कि अब यह लोग देश के प्रधानमंत्री के बारे में भी मर्यादा रहित टिप्पणियाँ करने से भी नहीं घबरा रहे हैं।