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Sunday 21 February 2016

देशद्रोहियों को संरक्षण देने के दोषी जेएनयू प्रशासन के खिलाफ भी हो कार्रवाई


हरियाणा के सीएम खट्टर राजनैतिक साज़िश का शिकार अपने भी हैं शामिल

 हरियाणा की स्थिति आर्मी जाने के बावजूद सामान्य नहीं हो पा रही। बताया  जा रहा है कि आर्मी मूकदर्शक बनी हुयी है और दंगाई बेखौंफ होकर अपनी मनमानी कर रहे हैं। रोहतक जिले के हालात बहुत ही गंभीर बने हुए हैं। यहां गैर जाटों को अराजक तत्व चुन -चुनकर अपनी हिंसा  का शिकार बना रहे हैं। दंगाइयों द्वारा स्थिति इतनी भयावह बना दी गई है कि यहां के लोग आर्मी की उपस्थिति के बावजूद अपने को असुरक्षित मान रहे हैं और दहशत के साये में जीने  मजबूर हैं। कहा यह जा रहा है कि कोई अदृश्य केंद्रीय प्रशासनिकशक्ति  आर्मी को ऐक्शन लेने से  रोके हुए है । कहा  तो यहां तक जा रहा है कि सीएम खट्टर के आदेशों के  बावजूद रोहतक के डीसी को आर्मी के दंगाई के विरुद्ध ऐक्शन लेने से केंद्रीय गृह मंत्रालय के उच्च अधिकारी रोके हुए हैं। अगर यह बात सत्य है तो यह बहुत बड़ी राजनीती हो रही है जो वोटों की खातिर एक समुदाय को दूसरे समुदाय से लूटपाट करने और हिंसा की छूट प्रदान किये हुए है। इस तरह से एक ओर सीएम खट्टर चाहते हुए भी हिंसा पर काबू नहीं कर पा रहे और दूसरी ओर अपने समुदाय पंजाबियों की नज़र में भी नकारा साबित हो जायेंगे। यह है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चहेते हरियाणा के सीएम की कुर्सी पर बैठे श्री मनोहरलाल खट्टर को असफल करने की राजनैतिक साज़िश। सूत्रों का कहना तो यह भी है कि हरियाणा के भाजपा के जाट नेता भी इस हिंसा को परदे के पीछे से पूरा आशीर्वाद प्रदान किये हुए हैं क्योंकि उन्हें भी सीएम की कुर्सी पर किसी जाट के न होने की छटपटाहट खाए जा रही है और  इसीलिए  सीएम  मनोहर लाल खट्टर को एक नाकारा प्रशासक साबित करके कुर्सी से चलता करने राजनैतिक साज़िश।सूत्रों की माने तो इस साजिश में अपने को पाक -साफ दर्शाने के तहत ही कैप्टन अभिमन्यु के घर पर आगजनी करवाई गयी है। दूसरी और हरियाणा को आग के हवाले करवाकर कांग्रेस के पूर्व सीएम हुड्डा दिल्ली में जंतर -मंतर पर आकर भूख हड़ताल पर बैठ कर अपने को शांति का मसीहा बनाने की कवायद में जुट गए हैं जबकि रोहतक उनका अपना गृह जिला है और उनका घर भी वहां है लेकिन किसी भी दंगाई ने उस तरफ टेडी नज़र करने की कोशिश नहीं की। हकीकत तो यह है कि हरियाणा के सभी दलों के जाट नेता इस हालात में बराबर के और  भागीदार हैं और खुद को भविष्य में होनेवाली किसी जाँच से बचने की रणनीति। जो भी हो लेकिन अगर हरियाणा की इस  भयानक स्थिति पर शीघ्र ही नियंत्रण नहीं किया तो में यहां के हालात बहुत ही विस्फोटक हो जायेंगे तब उनका नियंत्रित करना बिलकुल आसान नही होगा।