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Sunday 17 December 2017

विलम्ब से मिला न्याय भी अन्याय। जनता को उसकी भाषा में मिले न्याय -रामनाथ कोविंद

इलाहबाद। राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने कहा है कि देश की जनता को न्याय उसी की भाषा में मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि न्यायालयों को यह व्यवस्था करनी चाहिए कि कोर्ट में बहस और फैंसला स्थानीय भाषा में होना चाहिए और हिन्दी कोर्ट निर्णयों का अनुवाद होना चाहिए ताकि आम आदमी इनको सही तरह से समझ सके। अब देखना यह है कि अंग्रेजियत में रंगी भारत की अदालतें महामहिम के इस सुझाव का कितना सम्मान रखती हैं।वैसे देश के कुछ राज्यों की अदालतें इस दिशा में काम करना प्रारम्भ कर चुकी हैं। छतीसगढ़ उच्च न्यायालय में इस और अपने कदम बढ़ा भी दिए हैं और बाकी अन्य अदालतों को इस ओर काम करने की आवश्यकता है।उन्होंने कहा कि ऐसा करने से जहां जनता को अदालती फैंसलों को समझने में आसानी होगी वहीं न्यायालयों का सम्मान भी और अधिक बढ़ जायेगा। 

   राष्ट्रपति महोदय ने कल शनिवार को इलाहबाद के झलवा में प्रस्तावित न्याय ग्राम टाउनशिप की आधारशिला रखने के बाद इलाहबाद उच्च न्यायालय में आयोजित समारोह में अपने सम्बोधन के दौरान यह बात रखी।उन्होंने कहा कि वादकारियों को सस्ता ,सरल और सुलभ न्याय मिलना बहुत आवश्यक है। इससे जनता की नजरों में न्यायालयों का कद और भी अधिक बढ़ जायेगा। महामहिम ने कहा कि न्याय व्यवस्था से जुड़े रहने के दौरान उन्होंने बहुत ही निकट से यह देखा है कि गरीब को न्याय कैसे मिलता है। आज हालात यह हैं कि देश का सामान्य जनमानस न्यायपालिका का दरवाजा खटखटाने से बचता है। वर्तमान व्यवस्था को बदलने का समय आ चुका है। देश में करोड़ों की संख्या में केस विभिन्न न्यायालयों में लंबित पड़े हैं। करीब 40 लाख मामले अटके पड़े हैं और करीब 10 लाख मामले 10 वर्षों से भी अधिक समय से चल रहे हैं। देर से मिला न्याय भी अन्याय की श्रेणी में ही आता है। उन्होंने कहा अब वैकल्पिक न्याय प्रणाली को अस्तित्व में लाने की आवश्यकता है। 

  इस समारोह में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अशोक भूषण ,न्यायमूर्ति आर के अग्रवाल ने महामहिम के सम्बोधन से पहले अपना वक्तव्य रखते हुए कहा कि न्याय प्रणाली को अक्षुण्ण रखना बहुत ही आवश्यक है। राज्यपाल राम नाइक ने भी सरल और सुलभ न्यायतंत्र विकसित करने पर जोर दिया और कहा कि न्याय ग्राम टाउनशिप के निर्माण की समीक्षा हर माह करने के लिए एक कमेटी का होना भी जरूरी है।मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने भी अपने सम्बोधन में कहा कि उनकी सरकार न्याय प्रणाली को सुद्ढ़ बनाये रखने का और अपने संवैधानिक जिम्मेदारी को भी हर सम्भव निभाने का प्रयास करेगी। 

कोर्ट ने पत्रकार सुहैब इलियासी को माना पत्नी अंजू की हत्या का दोषी। सज़ा का फैंसला 20 को।

शाहदरा /दिल्ली। [रमन भाटिया ] एक समय टीवी चैनल पर अपराधों पर एपिसोड इंडिया मोस्ट वांटेड शो बनाकर मशहूर हुए पत्रकार सुहैब इलियासी अपनी पत्नी की हत्या के दोषी पाए गए हैं। कड़कड़डूमा कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायधीश श्री एस के मल्होत्रा  ने गत शनिवार को अभियोजन पक्ष और बचाव पक्ष की बहस और दलीलों को सुनने के बाद आरोपी इलियासी को अपनी पत्नी  की हत्या का दोषी करार दिया कोर्ट द्वारा इस मामले में आगामी 20 दिसंबर को सज़ा पर बहस होने के बाद सजा सुनाई जायेगी। क़ानूनी जानकारों के अनुसार जिन आरोपों में आरोपी दोषी पाया गया है उसमे उसको उम्र कैद तक की सज़ा हो सकती है।सुहैब ने 90 के दशक में भारत में टेलीविजन पर अपराधों पर आधारित सीरियल की शुरुआत की थी और उसको इस शो से काफी प्रसिद्धि भी मिली थी। 

          ज्ञात हो कि गत 11 जनवरी , 2000 को मयूर विहार फेस -1स्थित में सुहैब इलियासी की पत्नि अंजू  अपने घर में चाकू लगने से संदिग्ध हालत में मृत पायी गयी थी पुलिस ने केस की जाँच के बाद 28 मार्च , 2000 को शोएब इलियासी को पत्नि अंजू की हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था और बाद में उसको निचली अदालत से जमानत भी मिल गयी थी। 29 मार्च ,2011 को निचली अदालत में इलियासी के विरुद्ध दहेज प्रताड़ना और दहेज के लिए हत्या के आरोप तय कर दिए गए।भारतीय दंड विधान की जिन धाराओं में इलियासी के विरुद्ध आरोप तय किये गए थे , उनको मृतिका अंजू की माँ रुक्मा सिंह ने दिल्ली उच्च न्यायलय में चुनौति देते हए न्यायालय से हत्या ,सबूत मिटाने सहित अन्य विभिन्न धाराओं के अंतर्गत आरोप तय करने की मांग की। इस पर दिल्ली हाई कोर्ट ने 12 अगस्त ,2014 को इलियासी के विरुद्ध हत्या का केस चलाने का निर्देश जारी किया। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में यह कहा अंजू की बहनों के बयानों के बाद प्रथम दृष्टया इलियासी के विरुद्ध हत्या के अपराध का मामला बनता है।अतः आरोपी के विरुद्ध हत्या के आरोप में केस की सुनवाई की जाये।